Tuesday, July 19, 2011
राइट टू सर्विस पर विकास भारती में चर्चा
गणमान्य नागरिकों ने दिये सुझाव
रांची: झारखंड में प्रस्तावित राइट टू सर्विस विधेयक पर विकास भारती में 19 जुलाई की शाम एक चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें गणमान्य नागरिकों ने विधेयक को झारखंड के अनुरूप बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इन सुझावों को झारखंड सरकार के पास विचारार्थ भेजा जायेगा। नागरिकों ने इसे सुशासन की दिशा में राज्य सरकार का महत्वपूर्ण कदम बताते हुए इसका स्वागत किया। अध्यक्षता करते हुए विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कहा कि दुनिया भर में जनसामान्य को सरकारी सेवाएं समयबद्ध तरीके से देने के लिए सिटिजन चार्टर एवं राइट टू सर्विस कानून यानी सेवा पाने का अधिकार कानून बनाये जा रहे हैं। झारखंड सरकार की इस दिशा में सकारात्मक पहल है जिसे सफल बनाने के लिए नागरिकों को ठोस सुझावों के साथ आगे आना चाहिए।
प्रारंभ में सूचनाधिकार कार्यकर्ता डा.विष्णु राजगढि़या ने पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से झारखंड के प्रस्तावित राइट टू सर्विस विधेयक के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने मध्यप्रदेश, पंजाब, गोवा, बिहार इत्यादि राज्यों के राइट टू सर्विस कानूनों की चर्चा करते हुए बताया कि झारखंड में 18 प्रकार की सरकारी सेवाओं अथवा कार्यों को इस कानून के दायरे में रखा गया है।
चर्चा के दौरान गणमान्य नागरिकों ने अन्य लगभग 50 तरह की सरकारी सेवाओं अथवा कार्यों को इस कानून के दायरे में लाने का सुझाव दिया। नागरिकों के अनुसार किसी भी कानून के निर्माण के प्रारंभ के दौर में ही अगर सिविल सोसाइटी की भागीदारी सुनिश्चित कर ली जाये तो जनहित और देशहित या राज्यहित में बेहतर कानूनों का निर्माण संभव है। किसी भी विधेयक का प्रारूप सामान्यतः नौकरशाहों द्वारा तैयार किया जाता है। संभव है कि ऐसे प्रारूप महज प्रशासनिक एवं सीमित दृष्टि से बने हों जो ऐसे कानून के मकसद को सही तरीके से पूरा नहीं कर सकें। लेकिन अगर सिविल सोसाइटी की सकारात्मक भागीदारी हो तो सबकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए व्यापक सोच के साथ कानून बनाना संभव है। कोई कानून एक दिन के लिए नहीं बल्कि लंबे समय के लिए बनता है। रोज-रोज उसमें संशोधन भी संभव नहीं होता।
चर्चा में सबने एकमत से कहा कि झारखंड सरकार द्वारा इस विधेयक के प्रारूप पर नागरिकों से सुझाव मांगा जाना सकारात्मक कदम है जो इस प्रक्रिया में सिविल सोसाइटी की हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है। नागरिकों ने भरोसा जताया कि इस चर्चा से निकले सुझावों पर झारखंड सरकार गंभीरता से विचार करेगी और जनहित व राज्यहित में व्यापक प्रावधानों वाला राइट टू सर्विस विधेयक विधानसभा के इसी सत्र में पारित किया जायेगा।
चर्चा में मुख्यतः झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एमके मंडल, पूर्व डीजीपी आरआर प्रसाद, डाॅ. अजय सिंह, प्रो. आनंद भूषण, प्रो हरेश्वर दयाल, पवन बजाज, चंद्रेश्वर, पीएन सिंह, महेंद्र भगत, ललन शर्मा शामिल थे। चर्चा में आये सुझावों से सरकार को अवगत कराया जायेगा।
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